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Sunday, Sep 7, 2025
Published on: Wednesday, September 03, 2025
विशेष

ओडिशा में जनाधार को जूझ रही है कांग्रेस



भुवनेश्वर, (निप्र) : ओडिशा में कांग्रेस की किस्मत कब बदलेगी? क्योंकि कांग्रेस पिछले 25 सालों से ओडिशा की सत्ता में नहीं है। राज्य में विधायकों की संख्या कभी घटती है तो कभी बढ़ती है। फिर भी पार्टी के पास 13 प्रतिशत वोट बैंक है, लेकिन ओडिशा की राजनीति के केंद्र भुवनेश्वर में कांग्रेस की स्थिति बेहद दयनीय है। राजधानी में पार्टी के पास 5 प्रतिशत वोट भी नहीं हैं। पार्टी के उक्वमीदवार हर चुनाव में हार रहे हैं। 2009 में भुवनेश्वर तीन निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित हुआ। तब से किसी भी पीसीसी अध्यक्ष ने यह प्रयास नहीं किया कि भुवनेश्वर की 3 निर्वाचन  क्षेत्रों  पर पार्टी कैसे अपना सिर उठाएगी। बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में चर्चा है कि कांग्रेस ने बीजेडी और बीजेपी को तीनों सीटें दे दी हैं। कांग्रेस राज्य में सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है। राज्य सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेर रहा है। संगठनात्मक जिलों में विभिन्न कार्यक्रम चलाकर जमीनी स्तर पर पार्टी को संगठित करने पर जोर दिया जा रहा है।

कांग्रेस के 35 संगठनात्मक जिलों में से भुवनेश्वर एक है। एक संगठनात्मक जिले में पार्टी लगातार कमजोर हो रही है, लेकिन इसे कैसे मजबूत किया जाए, इस पर कोई खास रणनीति नहीं है।  राजधानी में युवा वर्ग ने कांग्रेस से दूरी बना ली है। पार्टी के पास महिला वोट भी नहीं है। संगठनात्मक स्थिति ऐसी है कि 2024 के आम चुनावों में तीन विधानसभाओं में तीन कांग्रेस विधायकों का वोट शेयर 4 प्रतिशत से भी कम था। एकाम्र उक्वमीदवार को 3.59 प्रतिशत, मध्य उक्वमीदवार को 2.93 प्रतिशत और उत्तर उक्वमीदवार को 3.51 प्रतिशत वोट मिले। तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में कोई भी उम्मीदवार अन्य दलों के उक्वमीदवारों को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। पार्टी की ऐसी ही स्थिति संसदीय क्षेत्र भुवनेश्वर में भी है। पार्टी कभी चुनावों में अपना उम्‍मीदवार उतारती है और कभी सहयोगी पार्टी के उक्वमीदवारों का समर्थन करती है? हालांकि पिछले आम चुनाव में पार्टी ने एक पूर्व छात्र कांग्रेस अध्यक्ष को चुनाव मैदान में उतारकर बीजेडी और बीजेपी को टक्‍कर देने की कोशिश की थी। इसमें भी उतना सफलता नहीं मिली। कांग्रेस उक्वमीदवारों को कुल 6 प्रतिशत वोट मिले। बीजेडी और बीजेपी लगातार भुवनेश्वर में कांग्रेस के बेहद कमजोर संगठन का फायदा उठा रहे हैं। 2004 तक भुवनेश्वर एक ही निर्वाचन क्षेत्र था। बाद में इसे एकाम्र, मध्य और उत्तर निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित करने के बाद कांग्रेस ने कोई सीट नहीं जीती है।

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