भुवनेश्वर, (निप्र) : ओडिशा से हर साल लगभग 5,000 करोड़ रुपये के समुद्री उत्पाद (मरीन प्रोडक्ट्स) अमेरिका निर्यात किए जाते हैं, लेकिन अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के फैसले के बाद सी-फूड उद्योग में चिंता की लहर दौड़ गई है। इससे सिर्फ कंपनियों के मालिक ही नहीं, बल्कि इससे जुड़े झींगा किसान, श्रमिक, बर्फ फैक्ट्रियां और मछुआरे सभी प्रभावित होंगे। अब इस परिस्थिति में विकल्पों की तलाश की जा रही है।
न केवल सी-फूड, बल्कि हथकरघा और बुनाई उद्योग भी इस टैरिफ से प्रभावित होंगे। ट्रंप टैरिफ से राहत के लिए वैश्विक स्तर पर चर्चा चल रही है। वहीं तीन प्रमुख शक्तियों भारत, चीन और रूस का एक साथ आना एक अच्छा संकेत है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंध बहुत पुराने हैं। लेकिन ओडिशा के उद्यमी इस टैरिफ वार के सीधे शिकार बन चुके हैं। 2004 में जहां ओडिशा से अमेरिका को लगभग 360 करोड़ रुपये के समुद्री उत्पाद निर्यात किए जा रहे थे, अब यह आंकड़ा 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, लेकिन ट्रंप के इस टैरिफ निर्णय के चलते, अब निर्यातकों को पहले 50 प्रतिशत आयात शुल्क चुकाना होगा, जो ओडिशा के व्यापारियों के लिए बेहद कठिन है। इसका सीधा असर झींगा किसानों, मछुआरों, बर्फ फैक्ट्री मालिकों और श्रमिकों तक पड़ेगा।
वर्तमान में अमेरिका के अलावा यूरोपीय देशों को निर्यात करना भी आसान नहीं है। भारत में अगर झींगे की मांग बढ़ी, तो घरेलू खपत द्वारा उत्पादन को संतुलित किया जा सकता है। इसी उद्देश्य से प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिखा गया है, जिसमें सेना में समुद्री उत्पादों के उपयोग की मांग की गई है। उत्कल चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से ट्रंप टैरिफ के प्रभाव और संभावित विकल्पों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई है। मरीन उत्पादों के साथ-साथ ओडिशा के पारंपरिक हथकरघा पर भी असर पड़ा है। इस्पात क्षेत्र पर प्रभाव की चर्चा भले ही सीमित रही हो, लेकिन इसका असर भी नकारा नहीं जा सकता। विकल्प के रूप में प्रोसेस्ड फूड (प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ) के उत्पादन पर जोर देने की बात कही गई है। इसके लिए केवल धान पर निर्भरता नहीं, बल्कि आधुनिक कृषि-तकनीक अपनाकर विविध खेती की आवश्यकता है। फिलहाल चर्चा इस बात पर भी हो रही है कि ट्रंप का यह निर्णय कब तक प्रभावी रहेगा।
अक्टूबर में प्रस्तावित क्वातड सम्मेलन में कोई रास्ता निकलने की संभावना है। ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका और भारत को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा होगी। इस बार शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत कर रहा है, इसलिए ट्रंप और मोदी के बीच सीधी बातचीत होने की संभावना है। अगर ट्रंप टैरिफ का समाधान नहीं निकलता, तो ओडिशा से अमेरिका को झींगा निर्यात करना मुश्किल हो जाएगा। चांदुआ, बांधकला, पाटसड़ी जैसे पारंपरिक उत्पाद भी प्रभावित होंगे। हालांकि, हाल ही में शंघाई सक्वमेलन में चीन, भारत और रूस इस मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं, जिससे उक्वमीद की जा रही है कि ट्रंप टैरिफ को टक्कर देने के लिए कोई ठोस समाधान निकल सकता है।