भुवनेश्वर, (निप्र) : ओडिशा कैबिनेट ने भुवनेश्वर विकास योजना क्षेत्र (बीडीपीए) के अंतर्गत एक आधुनिक और समावेशी शहरी केंद्र बनाने के उद्देश्य से नई नगर विकास योजना को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना गोठपाटना, मालीपड़ा और दासपुर में लगभग 800 एकड़ भूमि को कवर करेगी और इसे राज्य के दीर्घकालिक दृष्टिकोण 'विकसित ओडिशा 2036Ó के अनुरूप एक बहु-आर्थिक विकास क्षेत्र के रूप में परिकल्पित किया गया है।
नए शहर को एक पारगमन-उन्मुख टाउनशिप के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें कुशल सार्वजनिक परिवहन, कम यात्रा दूरी और भूमि उपयोग के एक सुव्यवस्थित मिश्रण तक निर्बाध पहुंच पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रस्तावित टाउनशिप में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा होगा, जिसमें एमआईसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन, प्रदर्शनियां) सुविधाएं, नवाचार केंद्र, प्लग-एंड-प्ले बुनियादी ढांचा और डेटा प्रबंधन केंद्र शामिल हैं। सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने और सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केंद्रीय वन पार्क, गेटवे प्लाजा और पर्याप्त सार्वजनिक स्थान भी विकसित किए जाएंगे।
इस पहल में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि 17 जनवरी, 2025 को सिंगापुर के राष्ट्रपति और ओडिशा के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में बीडीए और सुरबाना जुरोंग इन्फ्रास्ट्रञ्चचर प्राइवेट लिमिटेड (एसजेआई), सिंगापुर के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ आई। एसजेआई ग्रीनफील्ड टाउनशिप में मास्टर प्लानिंग और शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए परामर्श और सलाहकार सहायता प्रदान करेगा। इस परियोजना में सार्वजनिक और निजी निधि को मिलाकर 15 वर्षों में 8,179 करोड़ रुपये का अनुमानित निवेश शामिल है। भूमि अधिग्रहण, सड़क निर्माण, मुख्य बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक सुविधाओं और आकस्मिकताओं को कवर करने के लिए 2025-26 से 2029-30 तक के राज्य बजट में 1,342 करोड़ रुपये का प्रारंभिक आवंटन निर्धारित किया गया है।
:: बीडीओ और इंजीनियरों को और वित्तीय शक्तियां मिलीं
ओडिशा की भाजपा सरकार ने बुधवार को विभिन्न स्तरों पर खंड विकास अधिकारियों (बीडीओ) और सरकारी इंजीनियरों की वित्तीोय शक्तियां बढ़ा दीं। इस फैसले से पंचायत समितियों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की शक्तियां कम हो जाएंगी, जिनमें से अधिकांश पर विपक्षी बीजद का नियंत्रण है। यह फैसला, जिससे नए राजनीतिक विवाद छिडऩे की आशंका है, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। यह बैठक में मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत कुल पांच प्रस्तावों में से एक था।
मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने बताया कि पंचायत समिति के कार्यों के बिलों को मंजूरी देने के लिए बीडीओ की वित्तीय शक्ति 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है और इसके लिए ब्लॉक-स्तरीय स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के प्रतिहस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, पंचायत समिति परियोजनाओं के लिए योजनाओं और अनुमानों को प्रशासनिक स्वीकृति देने का अधिकार भी जिला परिषदों के कार्यकारी अधिकारियों को सौंप दिया गया है। उन्होंने बताया कि सामान्य विकास योजनाओं के तहत, बीडीओ अब 20 लाख रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी दे सकते हैं, जबकि पंचायत समिति अध्यक्ष 50 लाख रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी दे सकते हैं, और जिला परिषदों के कार्यकारी अधिकारी अब 50 लाख रुपये से अधिक की परियोजनाओं के लिए अनुमोदन शञ्चितयों का प्रयोग करेंगे।
सामान्य विकास योजनाओं (मनरेगा को छोड़कर) के लिए, कनिष्ठ या सहायक अभियंता अब 5 लाख रुपये तक की तकनीकी स्वीकृति देंगे, जबकि सहायक कार्यकारी अभियंताओं को 5 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है। कार्यकारी अभियंता 20 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी देंगे, अधीक्षण अभियंता (एसई) 1 करोड़ रुपये से 4 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं को मंजूरी देंगे और 4 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को मुख्य अभियंता द्वारा मंजूरी दी जाएगी। मनरेगा योजना के तहत विकास कार्यों के लिए, पंचायत तकनीकी सहायक अब 5 लाख रुपये तक की तकनीकी मंजूरी दे सकेंगे, जबकि अन्य सभी इंजीनियरों की मंजूरी देने की शक्ति वही रहेगी।