Please wait...

 
Trending Now
  • भुवनेश्वर में 'पशु आहार प्रबंधनÓ पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण शुरू
  • कॉटनफैब में उमड़ रही लोगों की भीड़
  • 'डांडिया कार्निवल 2025Ó 29 से
  • सुभद्रा योजना : योजना से बाहर किए गए पात्र लाभार्थियों के लिए शिकायत मॉड्यूल लांच
  • मुख्य सचिव ने दागी अधिकारियों को बाहर करने का दिया निर्देश
Thursday, Oct 23, 2025
Published on: Tuesday, August 26, 2025
देश

पीएम मोदी की डिग्री नहीं होगी सार्वजनिक



नई दिल्ली, (एजेंसी) : दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को सोमवार को रद्द कर दिया जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्नातक डिग्री से संबंधित जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने इसे व्यक्तिगत जानकारी करार देते हुए कहा कि इसमें कोई स्पष्ट जनहित निहित नहीं है, जिससे इसे सार्वजनिक किया जाए। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने सीआईसी के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की याचिका पर यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने 27 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायाधीश ने कहा, कुछ ऐसा जो जनता की जिज्ञासा का विषय हो और कुछ ऐसा जो जनता के हित में हो ये दोनों बिल्कुल अलग बातें हैं।     नीरज नामक एक व्यक्ति द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के बाद, सीआईसी ने 1978 में बीए (कला स्नातक) की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों के अभिलेखों के निरीक्षण की 21 दिसंबर, 2016 को अनुमति दे दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने भी यह परीक्षा वर्ष 1978 में ही उत्तीर्ण की थी। उच्च न्यायालय ने हालांकि सीआईसी के आदेश पर 23 जनवरी, 2017 को रोक लगा दी थी। सोमवार को आए फैसले में यह पाया गया कि आरटीआई आवेदन के तहत मांगी गई जानकारी में कोई जनहित निहित नहीं है। साथ ही इसमें कहा गया कि शैक्षिक योग्यता कोई ऐसी वैधानिक आवश्यकता नहीं है जो किसी सार्वजनिक पद को संभालने या सरकारी जिम्मेदारियां निभाने के लिए जरूरी हो। आदेश में कहा गया है, यह तथ्य कि मांगी गई जानकारी किसी सार्वजनिक व्यक्ति से संबंधित है, सार्वजनिक कर्तव्यों से असंबद्ध व्यक्तिगत डेटा पर निजताागोपनीयता के अधिकार को समाप्त नहीं करता है।  इसमें कहा गया है कि आरटीआई अधिनियम सरकारी कामकाज में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है, न कि सनसनी फैलाने के लिए। अदालत ने कहा, यह पूरी तरह स्पष्ट है कि प्राप्तांक, ग्रेड, उत्तर पुस्तिकाएं आदि निजी जानकारी की श्रेणी में आते हैं और सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की धारा 8(1) के अंतर्गत संरक्षित हैं। हालांकि, यदि कोई स्पष्ट रूप से बड़ा जनहित मौजूद हो तो इनका आकलन किया जा सकता है। केवल कुछ अवसरों पर ऐसी जानकारी प्रकाशित कर दिए जाने मात्र से उस जानकारी को मिलने वाला कानूनी संरक्षण समाप्त नहीं हो जाता। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि सीआईसी का आदेश रद्द किया जाना चाहिए। मेहता ने हालांकि, कहा कि विश्वविद्यालय को अपना रिकॉर्ड अदालत को दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय को अदालत को रिकॉर्ड दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है। इसमें 1978 की कला स्नातक की एक डिग्री है। डीयू ने सीआईसी के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि उसने छात्रों की जानकारी को न्यायिक क्षमता में रखा है और जनहित के अभाव में केवल जिज्ञासा के आधार पर किसी को आरटीआई कानून के तहत निजी जानकारी मांगने का अधिकार नहीं है।
समझ से परे है कि प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता का विवरण गुप्त क्यों रखा गया है : कांग्रेस
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्नातक डिग्री से संबंधित दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को लेकर सोमवार को कहा कि यह समझ से परे है कि वर्तमान प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता का विवरण पूरी तरह गुप्त क्यों रखा गया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, यह समझ से परे है कि वर्तमान प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता का विवरण पूरी तरह गुप्त क्यों रखा गया है, जबकि बाकी सभी के विवरण हमेशा से सार्वजनिक रहे हैं और आज भी हैं। उन्होंने कहा कि यही कारण था कि छह साल पहले हमारे कड़े विरोध के बावजूद, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में संशोधन संसद में पारित किए गए थे।

हाल की खबरें
Published on: September 22, 2025
राज्य
'डांडिया कार्निवल 2025Ó 29 से
Copyright © 2025 PRAJABARTA. All rights reserved.