तियानजिन (चीन), (एजेंसी) : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में कहा कि पहलगाम में हुआ भयावह आतंकवादी हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर आघात है, बल्कि यह मानवता में विश्वास रखने वाले प्रत्येक राष्ट्र के लिए एक खुली चुनौती भी है। उन्होंने आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड त्यागने की जोरदार वकालत की। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में मोदी ने वार्षिक शंघाई सहयोग संगठन को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है।
पाकिस्तान और इसका (आतंकवाद का) समर्थन करने वालों को स्पष्ट संदेश देते हुए मोदी ने कहा, यह पूछना स्वाभाविक है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन हमें कभी स्वीकार्य हो सकता है? उन्होंने कहा, हमें स्पष्ट रूप से और एक स्वर में कहना होगा, आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं। हमें मिलकर, हर रूप और अभिव्यक्ति में आतंकवाद का विरोध करना चाहिए। यह मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है। पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने छह और सात मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया गया था। इस हमले के बाद चार दिनों तक दोनों देशों के बीच भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्वाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत पिछले कई दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। उन्होंने कहा, कई माताओं ने अपनी संतानें खो दीं और कई बच्चे अनाथ हो गए। हाल में हमने पहलगाम में आतंकवाद का एक बेहद घृणित रूप देखा। उन्होंने कहा, यह हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर एक आघात था, बल्कि यह हर उस देश, हर उस व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती था जो मानवता में विश्वास रखता है। मोदी ने पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ खड़े होने वाले मित्र देशों के प्रति भी आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने समूह के प्रति भारत के दृष्टिकोण और नीति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए शंघाई सहयोग संगठन के संक्षित नाम एससीओ का नया अर्थ प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया, एससीओ के एस का अर्थ है सिक्योरिटी यानी सुरक्षा, सी का अर्थ है कनेक्टिविटी यानी संपर्क और ओ का अर्थ है ऑपचुनिटी यानी अवसर। उन्होंने कहा, मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव हैं। हालांकि, आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद इस राह में बड़ी चुनौतियां बने हुए हैं। मोदी ने कहा कि आतंकवाद न केवल व्यक्तिगत राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक साझा चुनौती है। उन्होंने कहा, कोई भी देश, कोई भी समाज, कोई भी नागरिक खुद को इससे पूरी तरह सुरक्षित नहीं मान सकता। इसीलिए भारत ने लगातार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकता के महत्व पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने कनेक्टिविटी (संपर्क) के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि संपर्क के हर प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। यह एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों में भी निहित है। उन्होंने कहा, संप्रभुता को दरकिनार करने वाली कनेक्टिविटी विश्वास और अर्थ खो देती है।
इन टिप्पणियों को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के अप्रत्यक्ष संदर्भ में माना जा रहा है। भारत इसका विरोध करता रहा है क्योंकि इस परियोजना का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। प्रधानमंत्री ने एससीओ के अंतर्गत एक सभ्यता संवाद मंच के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा, ऐसा मंच हमें अपनी प्राचीन सभ्यताओं, कला, साहित्य और परंपराओं की समृद्धि को वैश्विक मंच पर साझा करने का अवसर प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने ग्लोबल साउथ के विकास को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में सीमित रखना भावी पीढय़िों के साथ घोर अन्याय है। ग्लोबल साउथ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है और ए मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं। भारत की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि देश रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्र्म (सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन) के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे कोविड-19 महामारी हो या वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की है।